धड़कन में,
धड़कती है तू ही,
श्वास प्रश्वास बन ।
जीवन मेरा,
सांसो से ही हीन है,
जीना कैसे हो ।
मेरी पूजा तू,
प्रेम अराधन तू,
रब जैसे हो ।
मेरा जीवन,
नीर बिना मछली,
जीना जैसे हो ।
चंद्रमा बीन,
पूर्णमासी का रात,
भला कैसे हो ।
तुझ बिन मै,
लव बीन दीपक,
साथ जैसे हो ।
मन का साथी,
चिड़या सा चहको,
खुला आंगन ।
-रमेशकुमार सिंह चैहान