शान में मान में गान में प्राण में, जान लो मान लो मात्र मैं देश का ।
ध्यान से ज्ञान से योग से भोग से, मूल्य मेरा बने वो सभी देश का ।
प्यार से बांट के प्यार को प्यार दे, बांध मैं लिया डोर से देश को ।
जाति ना धर्म ना पंथ भी मैं नहीं, दे चुका हूँ इसे दान में देश को ।
-रमेश चौहान
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