‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

मूल्य नीति, हमें समझ ना आय

टेक्स हटाओं तेल से, सस्ता कर दो दाम ।
जोड़ो टेक्स शराब पर, चले बराबर काम ।।


अच्छे दिन के स्वप्न को, ढूंढ रहे हैं लोग ।
बढ़े महंगाई कठिन, जैसे कैंसर रोग ।।


कभी व्यपारी आंग्ल के, लूट लिये थे देश ।
आज व्यपारी देश के, बांट रहे हैं क्लेश ।।


तने व्यपारी आन पर, विवश दिखे सरकार ।
कल का हो या आज का, सब दल है लाचार ।।


मूल्य नीति व्यवसाय की, हमें समझ ना आय ।
दस रूपये के माल को, सौं में बेचा जाय ।।


निर्भरता व्यवसाय पर, प्रतिदिन बढ़ती जाय ।
ये उपभोक्ता वाद ही, भौतिकता सिरजाय ।।

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