‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

शिक्षा में संस्कार हो

शिक्षा में संस्कार हो, कहते हैं सब लोग ।
शिक्षा में व्यवहार का, निश्चित हो संजोग ।
निश्चित हो संजोग, समझ जीवन जीने का ।
सहन शक्ति हो खास, कष्ट प्याला पीने का ।
पर दिखता है भिन्न, स्कूल के इस दीक्षा में ।
टूट रहा परिवार, आज के इस शिक्षा में ।।

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