‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

वैभवशाली भारत होवे

हे मातृभूमि ममता रूपा, प्रतिपल वंदन तुझको ।
सुखमय लालन-पालन करतीं, गोद बिठाकर मुझको ।

मंगलदात्री पुण्यभूमि माँ, तन-मन अर्पण तुझको ।
तेरे ही हित काज करूँ मैं, इतना बल दे मुझको ।।

हे सर्वशक्तिशाली भगवन, कोटि नमन है तुझको ।
मातृभूमि की सेवा करने, बुद्धि शक्ति दे मुझको ।।

शक्ति दीजिये इतनी भगवन, दुनिया लोहा माने ।
ज्ञान-बुद्धि जन मन में भर दें, दुनिया जिसको जाने ।।

जाति-धर्म से उपजे बाधा, देश प्रेम से टूटे ।
समरसता में गांठे जितने, देश प्रेम से छूटे ।।

भांति-भांति के अंग हमारे, जैसे देह बनावे ।
भांति-भांति के लोग यहां के, काया सा बन जावे ।।

वैभवशाली भारत होवे, अखिल विश्व से बढ़कर ।
देश भक्ति की प्रबल भावना, अब बोले सिर चढ़कर ।।

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