‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

सच्चे झूठे कौन

कल का कौरव  आज तो, पाण्ड़व नाम धराय ।
कल का पाण्ड़व आज क्यों, खुद को ही बिसराय ।।
खुद को ही बिसराय, दुष्ट कलयुग में आकर ।
स्वर्ण मुकुट रख शीश, राज सिंहासन पाकर ।
ज्ञाता केवल कृष्ण, ज्ञान जिसको हर पल का ।
सच्चे झूठे कौन, याद किसको है कल का ।।

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