‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

हे देश के राजनेताओं, थोड़ा तो शरम करो

हे देश के राजनेताओं, थोड़ा तो शरम करो ।
मुझको भारत माता कहते, मुझपर तो रहम करो ।।

लड़ो परस्पर जी भरकर तुम, पर लोकतंत्र के हद में ।
उड़ो गगन पर उडान ऊँची, पर धरती की जद में ।।

होते मतभेद विचारों में, इंसानों को क्यों मारें ।
इंसा इंसा के साथ रहे,, शैतानों को क्यों तारें ।।

सत्ता का तो विरोध करना, लोकतंत्र का हक है ।
मातृभूमि को गाली देना, कुछ ना तो कुछ शक है ।।

पहले ही बांट चुके हो तुम, मुझे उनके नाम पर ।
फिर टुकड़े करने तत्पर हो, मुझे उनके दाम पर ।।

राजनीति का एक लक्ष्य है, केवल सत्ता पाना ।
किंतु काम कुछ ना आयेगा, तेरा ताना-बाना ।

नहीं रहूँगी साथ तुम्हारे, ऐसे हालातो पर ।
जीवित कैसे रह पाऊँगी, तेरे इन घातों पर ।।
-रमेश चौहान

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