‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

राष्ट्रवाद

धर्मवाद के फेर में, राष्ट्रवाद है फेल ।
खेलें हैं जब धर्म पर, राजनीति का खेल ।

राजनीति में मान कर, जाति धर्म में भेद ।
मतदाता को बांटना, लोकतंत्र का छेद ।।

आन-बान इस देश का, जो रखते सम्हाल ।
जीते रहते देश पर, लिये मौत का ढाल ।।

राष्ट्रवाद पर प्रश्न क्यों, खड़ा किये हैं लोग ।
जिसके कारण आज तो, दिखे देश में रोग ।।

निज मौलिक कर्तव्य है, राष्ट्रवाद का धर्म ।
सर्वधर्म सम्भाव का, छुपा रखा जो मर्म ।।


हिन्दी हिन्दू हिन्द का, होता रहा जब क्षीण ।
होता ना क्यों कर यहां, राष्ट्रवाद बलहीन ।।

आखिर किस आथार पर, बना हिन्द अरु पाक ।
आखिर किसने है किया, राष्ट्रवाद को खाक ।।


Blog Archive

Popular Posts

Categories