‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

चल चल रे कावड़िया चल चल

कावड़िया चल देवघर, बोल बम्म शिव बम्म ।
बैजनाथ के श्री चरण, भक्त लगा के दम्म ।।

चल चल रे कावड़िया चल चल, बैजनाथ के द्वारे ।

शिव का आया आज बुलावा, जागे भाग हमारे ।।

कांधे कावर गंगा जल धर, मन में श्रद्धा निर्मल ।
नंगे पांव चले चल प्यारे, जैसे नदियां कल-कल ।।

हर हर महादेव हर हर, हर हर शिव ओंकारा ।
बोल बम्म बोल बम्म हर हर, गूंज रहा है नारा ।।

पुनित मास सावन बाबा के, लगा हुआ है मेला ।
बोल बम्म जयकारों से मन, नाच रहा अलबेला ।।

अवघर दानी शम्भू सदाशिव, सफल मनोरथ करते ।
हाथ पसारे जो नर मांगे, बाबा झोली भरते ।




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