‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

ईश्वर अल्ला नाम एक है

ये अल्ला के बंदे सुन लो, सुन लो ईश्वर के संतान ।
ईश्वर अल्ला नाम एक है, सुन लो अपने खोले कान ।।

निराकार साकार रूप तो, कण-कण का होता पहिचान ।
फल का रंग-रूप जगजाहिर, कौन स्वाद का देवे प्रमान ।।

प्रतिरूप फलों का दिखता है, स्वाद रहे जस तन में प्राण ।
स्वाद बिना फल होवे कैसा, फल बिन स्वाद चढ़े परवान ।।

जर्रा-जर्रा अल्ला बसता, कण-कण में होते भगवान ।
सूफी संत पीर पैगम्बर, महापुरूष अवतारी प्राण ।।

दुनिया के ओ हर दुख मेटे, मानव को केवल मानव मान ।
किये इबादद मानवता के, कर मानवता के गुणगान ।।

मानवता ही धर्म बड़ा है, मानव को माने भगवान ।
दोजक-जन्नत स्वर्ग-नरक को, ठौर कर्मफल का ही जान ।

कर्मलोक में कर्म करें सब, ईश्वर अल्ला का फरमान ।
दूजे को पीर नही देना, कर्म इसे ही अपना जान

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