‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

दुष्टों का संघार, करें अब हे शिव भोले

हे शिव भोले नाथ प्रभु, देखें नयन उघार ।
तेरे भक्तों पर हुआ, फिर से अत्याचार ।
फिर से अत्याचार, शत्रु मानव के करते ।
देव विरोधी दैत्य, प्राण भक्तों के हरते ।।
अमरनाथ के नाथ, भक्त हर-हर हर बोले ।
दुष्टों का संघार, करें अब हे शिव भोले ।।

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