‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

अपनी रेखा गढ़ लें

हर रेखा बड़ी होती, हर रेखा होती छोटी,
सापेक्षिक निति यह, समझो जी बात को ।
दूसरों को छेड़े बिन, अपनी रेखा गढ़ लें
उद्यम के स्वेद ले, तोड़ काली रात को।।
खीर में शक्कर चाही, शाक में तो नमक रे
सबका अपना कर्द, अपना ही मोल है ।
दूर के ढोल सुहाने, लगते हों जिसको वो
जाकर जी देखो भला, ढोल मे भी पोल है ।।

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