‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

बैरी बाहर है नहीं

बैरी बाहर है नहीं, घर अंदर है चोर ।
मानवता के नाम पर, राष्ट्र द्रोह ना थोर ।।
राष्ट्र द्रोह ना थोर, शत्रु को पनाह देना ।
गढ़कर पत्थरबाज, साथ उनके हो लेना ।।
राजनीति का स्वार्थ, कहां है अब अनगैरी ।
सैनिक का अपमान, मौन हो देखे बैरी ।।

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