‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

कहे विवेकानंद

पाना हो जो लक्ष्य को, हिम्मत करें बुलंद ।
ध्येय वाक्य बस है यही, कहे विवेकानंद ।।
कहे विवेकानंद, रूके बिन चलते रहिये ।
लक्ष्य साधने आप, पीर तो थोड़ा सहिये ।
विनती करे ‘रमेश‘, ध्येय पथ पर ही जाना ।
उलझन सारे छोड़, लक्ष्य को जो हो पाना ।।

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