घाल मेल के रोग से, हिन्दी है बीमार ।
अँग्रेजी आतंक से, कौन उबारे यार ।।
हिन्दी की आत्मा यहाँ, तड़प रही दिन रात ।
देश हुये आजाद है, या है झूठी बात ।।
-रमेश चौहान
घाल मेल के रोग से, हिन्दी है बीमार ।
अँग्रेजी आतंक से, कौन उबारे यार ।।
हिन्दी की आत्मा यहाँ, तड़प रही दिन रात ।
देश हुये आजाद है, या है झूठी बात ।।
-रमेश चौहान
अटल अटल है आपका, ध्रुव तरा सा नाम । बोल रहा हर गांव में, पहुंच सड़क का काम ।। जोड़ दिए हर गांव को, मुख्य सड़क के साथ। गांव शहर से जब जुड़ा...
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