‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

भीमराव अम्बेड़कर के संदेश

भीमराव अम्बेड़कर, दिये अमर संदेश ।
भेद भाव को छोड़ कर, एक रहे यह देश ।।

उनकी आत्मा आज तो, पूछे एक सवाल ।
जाति धर्म के नाम पर, क्यों हो रहा बवाल ।।

सेक्यूलर के नाम पर, नेता किये प्रपंच ।
मां अरू मौसी मान कर, करते केवल लंच ।।

तड़प रहा है आज तो, संविधान का प्राण ।
पंथ जाति निरपेक्ष नही, नही राष्ट्र सम्मान ।।

संविधान इतना कठिन, समझ सके ना देश ।
श्याम वस्त्र में कैद कर, बना रखे परिवेश ।।

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