‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

भजते तब तब राम

भौतिक सुख में  हो मगन, माना कब  भगवान ।
अब तक तुम कहते रहे, ईश्वर शिला समान ।
ईश्वर शिला समान, पूजते नाहक पाहन ।
घेरे तन को कष्ट, लगे करने अवगाहन ।।
औषध करे न काम, दुआ करते तब कौतिक ।
भजते तब तब राम, छोड़ सुख सारे भौतिक ।।

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