पानी के हर बूंद को, गटक रहा मुॅह खोल ।
टपक टपक हर बूॅंद भी, खोल रहा है पोल।।
खोल रहा है पोल, किये जो गलती मानव ।
एक एक जल स्रोत, किये भक्षण बन दानव ।।
कुॅआ नदी तालाब, शहर निगले मनमानी ।
मुक्त करो जल स्रोत, मिले तब सबको पानी ।।
टपक टपक हर बूॅंद भी, खोल रहा है पोल।।
खोल रहा है पोल, किये जो गलती मानव ।
एक एक जल स्रोत, किये भक्षण बन दानव ।।
कुॅआ नदी तालाब, शहर निगले मनमानी ।
मुक्त करो जल स्रोत, मिले तब सबको पानी ।।
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