‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

मोहन प्यारे

मोहन प्यारे हो कहां, ढ़ूढ़ रहा मन चैन ।
रात दिवस सब एक सा, लगे श्याम बिन रैन ।
लगे श्याम बिन रैन, कहे ग्वालन कर जोरे।
जैसे जल बिन मीन, दशा मन की है मोरे ।
बांध रखे हो आप, किये हम पर सम्मोहन ।
अब आ जाओ पास, कहां हो प्यारे मोहन ।

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