कितने झूठे लोग हैं, झूठ रहे इठलाय ।
न्याय खोजता सत्य को, सत्य कौन बतलाय ।
सत्य कौन बतलाय, सत्य को ग्रहण लगा है ।
आंखे पट्टी बांध, न्याय भी आज ठगा है ।
एक चांद ही सत्य, झूठ तो तारे जितने ।
धनी बली है मुक्त, बंद निर्धन हैं कितने ।
न्याय खोजता सत्य को, सत्य कौन बतलाय ।
सत्य कौन बतलाय, सत्य को ग्रहण लगा है ।
आंखे पट्टी बांध, न्याय भी आज ठगा है ।
एक चांद ही सत्य, झूठ तो तारे जितने ।
धनी बली है मुक्त, बंद निर्धन हैं कितने ।
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