‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

आई होली आई होली

आई होली आई होली, मस्ती भर कर लाई ।
झूम झूम कर बच्चे सारे, करते हैं अगुवाई ।
देखे बच्चे दीदी भैया, कैसे रंग उड़ाये ।
रंग अबीर लिये हाथों में, मुख पर मलते जाये ।
देख देख कर नाच रहे हैं, बजा बजा कर ताली ।
रंगो इनको जमकर भैया, मुखड़ा रहे न खाली ।
इक दूजे को रंग रहें हैं, दिखा दिखा चतुराई ।
आई होली आई होली.......
गली गली में बच्चे सारे, ऊधम खूब मचाये ।
हाथों में पिचकारी लेकर, किलकारी बरसाये ।।
आज बुरा ना मानों कहकर, होली होली गाते ।
जो भी आते उनके आगे, रंगों से नहलाते ।।
रंग रंग के रंग गगन पर, देखो कैसे छाई ।
आई होली आई होली.......
कान्हा के पिचका से रंगे, दादाजी की धोती ।
दादी भी तो बच ना पाई, रंग मले जब पोती ।
रंग गई दादी की साड़ी, दादाजी जब खेले ।
दादी जी खिलखिला रही अब, सारे छोड़ झमेले ।
दादा दादी नाच रहे हैं, लेकर फिर तरूणाई ।
आई होली आई होली.......

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