गलत गलत है मान लो, रखे नियत क्यो खोट ।
तेरे इस व्यवहार से, लगा देश को चोट ।।
वैचारिक मतभेद से, हमें नही कुछ क्लेष ।
पर क्यो इसके नाम पर, बांट रहे हो देश ।।
माँ को गाली जो दिये, लिये शत्रु को साथ ।
कैसे उनके साथ हो, बनकर उनके नाथ ।।
तुष्टिकरण के पौध को, सींच रहें जो नीर ।
आज नही तो कल सही, पा़येंगे वो पीर ।।
अंधों से कमतर नही, मूंद रहे जो आंख ।
देश द्रोह के सांप को, पाल रहें है कांख ।।
-रमेश चौहान
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