‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

गलत गलत है मान लो

गलत गलत है मान लो, रखे नियत क्यो खोट ।
तेरे इस व्यवहार से, लगा देश को चोट ।।

वैचारिक मतभेद से, हमें नही कुछ क्लेष ।
पर क्यो इसके नाम पर, बांट रहे हो देश ।।

माँ को गाली जो दिये,  लिये शत्रु को साथ ।
कैसे उनके साथ हो, बनकर उनके नाथ ।।

तुष्टिकरण के पौध को, सींच रहें जो नीर ।
आज नही तो कल सही, पा़येंगे वो पीर ।।

अंधों से कमतर नही, मूंद रहे जो आंख ।
देश द्रोह के सांप को, पाल रहें है कांख ।।
-रमेश चौहान

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