अटल जान कर मौत को, एक कीजिये काम ।
प्रेम राष्ट्र से कीजिये , अमर रहेगा नाम ।।
राष्ट्र धर्म जब एक है, परिभाषा क्यों भिन्न ।
कोई इससे खुश दिखे, कोई इससे खिन्न ।।
चिंगारी ही एक दिन, बन जाते अंगार ।
सुलगत देख बुझाइये, इससे कैसा प्यार ।।
घाव दिखे जब देह पर, काट घाव को फेक ।
पीर सहें तज मोह को, काम यही है नेक ।।
खटमल से कर मित्रता, किये खाट से बैर ।
अपनी धरती छोड़ कर, नभ में करने सैर ।।
प्रेम राष्ट्र से कीजिये , अमर रहेगा नाम ।।
राष्ट्र धर्म जब एक है, परिभाषा क्यों भिन्न ।
कोई इससे खुश दिखे, कोई इससे खिन्न ।।
चिंगारी ही एक दिन, बन जाते अंगार ।
सुलगत देख बुझाइये, इससे कैसा प्यार ।।
घाव दिखे जब देह पर, काट घाव को फेक ।
पीर सहें तज मोह को, काम यही है नेक ।।
खटमल से कर मित्रता, किये खाट से बैर ।
अपनी धरती छोड़ कर, नभ में करने सैर ।।
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