‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

वीर बहादुर

वीर बहादुर तो कभी, होते नही अधीर
घाव लगे जब देह पर, सह जाते सब पीर ।
सह जाते सब पीर, देश की मिट्टी चुमकर ।
भर लेते सब घाव, देश की बातें गुणकर ।।
हर बाधा कर पार, शत्रु को करते चुर चुर।
करे प्राण उत्सर्ग, देश पर वीर बहादुर ।।

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