‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

भजन- बासुरिया ओ........ बासुरिया

बासुरिया ओ........ बासुरिया

बासुरिया तू धन्या , खूब बजती ।
लब लिपटी कान्हा के, मोहे जगती ।

बासुरिया ओ........ बासुरिया

तू ताल छेड़े राग छेड़े, छेड़े रागनी ।
सुन सांझ जगे चांद जगे, जगे चांदनी ।

बासुरिया ओ........ बासुरिया

पेड़ सुने, जंगल सुने, सुने बस्ती ।
कदम झूमे, युमना झूमे, झूमे कश्ती ।।

बासुरिया ओ........ बासुरिया

कान्हा चले, ग्वालन छेड़े, तू कमर लटकी ।
राह रोके, माखन लूटे, फोड़े मटकी ।।

बासुरिया ओ........ बासुरिया

रास रचे कान्हा हॅसे, बजाये बासरी ।
गोपी नाचे, राधा नाचे, होके बावरी ।

बासुरिया ओ........ बासुरिया
बासुरिया ओ........ बासुरिया
बासुरिया ओ........ बासुरिया

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