‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

कौन धर्म निरपेक्ष है

राजनीति के फेर में, बटे हुये हैं लोग ।
अपने अपने स्वार्थ में, बांट रहें हैं रोग ।।

कौन धर्म निरपेक्ष है, ढूंढ रहा है देश ।
वह लाॅबी इस्लाम का, यह हिन्दू का वेश ।। 

वह हत्यारा सिक्ख का, जाने सारा देश ।
यह हत्यारा गोधरा, कैसे जाये क्लेश ।।

बने धर्मनिरपेक्ष वह, टोपी एक लगाय ।
दूजे को पूछे नही, नाम लेत शरमाय ।।

छाती छप्पन इंच यह, लगाम नही लगाय ।
बड़ बोलो के शोर से, रहे लोग भरमाय ।।

संविधान के मर्म को, समझे सारे लोग ।

सभी धर्म के मान को, मिलकर रखें निरोग ।।


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