है गुरू नानक देव के, अति पावन उपदेश ।
मानव मानव को दिये, मानवता संदेश ।।
एक ओंकार है जगत,ईश्वर एक प्रदीप ।
सृष्टि आरती हैं करे, चांद सूर्य के दीप ।।
तारे सजते मोति सम, नभ तो थाल स्वरूप ।
सागर देते अर्घ हैं, चंदन साजे धूप ।।
सबद याद रख एक तू, मानव मानव एक ।
मानवता ही धर्म है, धर्म नही अनलेख ।
ऐसे नानक देव के, करते हम अरदास ।
उनके प्रकाश पर्व पर, जग में भरे उजास ।।
मानव मानव को दिये, मानवता संदेश ।।
एक ओंकार है जगत,ईश्वर एक प्रदीप ।
सृष्टि आरती हैं करे, चांद सूर्य के दीप ।।
तारे सजते मोति सम, नभ तो थाल स्वरूप ।
सागर देते अर्घ हैं, चंदन साजे धूप ।।
सबद याद रख एक तू, मानव मानव एक ।
मानवता ही धर्म है, धर्म नही अनलेख ।
ऐसे नानक देव के, करते हम अरदास ।
उनके प्रकाश पर्व पर, जग में भरे उजास ।।
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