‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

प्रकाश पर्व

है गुरू नानक देव के, अति पावन उपदेश ।
मानव मानव को दिये, मानवता संदेश ।।

एक ओंकार है जगत,ईश्वर एक प्रदीप ।
सृ‍ष्टि आरती हैं करे, चांद सूर्य के दीप ।।

तारे सजते मोति सम, नभ तो थाल स्वरूप ।
सागर देते अर्घ हैं, चंदन साजे धूप ।।

सबद याद रख एक तू, मानव मानव एक ।
मानवता ही धर्म है, धर्म नही अनलेख ।

ऐसे नानक देव के, करते हम अरदास ।
उनके प्रकाश पर्व पर, जग में भरे उजास ।।

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