‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

जय जय जय गणराज प्रभु....

जय जय जय गणराज प्रभु, जय गजबदन गणेश ।
विघ्न-हरण मंगल करण, हरें हमारे क्लेश।।

गिरिजा नंदन प्रिय परम, महादेव के लाल ।
सोहे गजमुख आपके, तिलक किये हैं भाल ।।
तीन भुवन अरू लोक के, एक आप अखिलेश । जय जय जय गणराज प्रभु....


मातु-पिता के आपने, परिक्रमा कर तीन ।
दिखा दियेे सब देेव को, कितने आप प्र्रवीन ।
मातुु धरा अरू नभ पिता, सबको दे संदेश  ।। जय जय जय गणराज प्रभु...

वेद व्यास के ग्र्रंथ को, किये आप लिपि बद्ध ।
भाव षब्द कोे साथ मे, देव किये आबद्ध ।।
ज्ञान बुद्धि के प्र्रकाषक, देवा आप गणेश । जय जय जय गणराज प्रभु....

प्र्रथम पूज्य आप प्रभुु, वंदन  बारम्बार ।
करें काज निर्विघ्न प्रभुु, पूूजन कर स्वीकार ।।
श्रद्धा अरू विष्वास का, लाये भेट ‘रमेश‘ । जय जय जय गणराज प्रभु....

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