‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

कुछ दोहे

कल की बातें छोड़ दे, बीत गया सो बीत ।
बीते दिन बहुरे नहीं, यही जगत की रीत ।।

चले चलो निज राह तू, करना नही विश्राम ।
तेरी मंजिल दूर है, रखो काम से काम ।।

जीत हार में एक ही, अंतर होते सार ।
मंजिल पाना सार है, बाकी सब बेकार ।।

जान बूझ कर लोग क्यूं, चल पड़ते उस राह ।
तन मन करते खाक जो, करके उसकी चाह ।।

 जग में भागम भाग है, भागें हैं हर कोय ।
कोई ढ़ूंढ़े प्यार हैं, शांति शोहरत कोय ।।

रीत प्रीत की है सहज, मत कर तू अभिमान ।
अपनों के संबंध में, तोड़ दे स्वाभिमान ।।

संस्कृत भाषा रम्य है, माने सकल जहाॅन ।
संस्कृत भाषा बोल कर, गढ़ लो अपनी शान ।।

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