‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

नौ दोहे

1.
         शोर शोर का शोर है, शोर करे है कौन ।
        काम काज के वक्त जो, बैठे रहते मौन ।।

2.
पक्ष और विपक्ष उभय, संसद के हैं अंग ।
वाक युद्ध अब छोड़ कर, काम करे मिल संग ।।

3.
        स्वस्थ सुखद जीवन रहे, होवें आप शतायु ।
सुयश कीर्ति हो आपका, अजर अमर जग जायु ।।

4.
घुमड़ घुमड़ कर मेघ जब, गाय राग मल्लार ।
मोर पपीहा नाचती, अपने पंख पसार ।।

5.
हरियाली चहुॅ ओर है, मन को रही लुभाय ।
विरह दग्ध से प्रेमिका, साजन पास बुलाय ।।

6.
सोशल साइट तो सभी, है सार्वजनिक मंच ।
नग्नवाद का दंश क्यो, मारे हमको पंच ।।

7.
खड़ा किये है पेड़ को, मात्र एक ही बीज ।
एक चूक भी चूक है, क्यों करते हो खींज ।।

8.
एक चूक भी चूक है, चाहे होत अचान ।
यही चूक तो है करे, जीवन को बेजान ।।

9.
जाने अनजाने किया, भोग रहा मैं आज ।
संग बुरे का है बुरा, करके देखा काज ।।

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