बांधे अमुवा डार, लिये रेशम की डोरी ।
झूल रही हैं साथ, सभी अलबेली छोरी ।।
श्याम घटा के संग, झूम आये जब सावन ।
डाल डाल सब पात, लगे जब अति मनभावन ।।
अंग अंग प्रति अंग, यौैवना किये सजावन ।
सावन झूला डाल, सभी ओ मन की भोरी ।।
झूल रही हैं साथ, सभी अलबेली छोरी ।।
रिमझिम रिमझिम नीर, जभे सावन बरसाये
बूंद बूंद हर बूंद, देह पर अगन जगाये ।
हवा चले झकझोर, बदन से चुनर उड़ाये ।
एहसास कुछ आय, हुई हैं दिल की चोरी ।।
झूल रही हैं साथ, सभी अलबेली छोरी ।।
झूल रही हैं साथ, सभी अलबेली छोरी ।।
श्याम घटा के संग, झूम आये जब सावन ।
डाल डाल सब पात, लगे जब अति मनभावन ।।
अंग अंग प्रति अंग, यौैवना किये सजावन ।
सावन झूला डाल, सभी ओ मन की भोरी ।।
झूल रही हैं साथ, सभी अलबेली छोरी ।।
रिमझिम रिमझिम नीर, जभे सावन बरसाये
बूंद बूंद हर बूंद, देह पर अगन जगाये ।
हवा चले झकझोर, बदन से चुनर उड़ाये ।
एहसास कुछ आय, हुई हैं दिल की चोरी ।।
झूल रही हैं साथ, सभी अलबेली छोरी ।।
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