‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

देश भक्त कलाम

तोड़े सरहद धर्म के, सिखा गये जो धर्म ।
फसे मजहबी फेर जो, समझे ना यह मर्म ।।
समझे ना यह मर्म, समाये कैसे मन में ।
महान पुरूष कलाम, हुये कैसे प्रिय जन में ।।
देश भक्ति इक धर्म, देश से नाता जोड़े ।
छोड़ गये संदेश, कुपथ से नाता तोड़े ।।
-रमेश चौहान

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