‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

रोमन लिखते आप क्यों

रोमन लिखते आप क्यों, देवनागरी छोड़
अपनी भाषा और लिपि, जगा रही झकझोर ।।
जगा रही झकझोर, याद पुरखो का कर लो ।
जिसने खोई जान, सीख उनकी तुम धर लो ।।
रहना नही गुलाम, रहो चाहे तुम जोगन ।
हुये आजाद आप, लिखे क्यो अबतक रोमन ।।

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