‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

पंच दोहे

धोते तन की गंदगी, मन को क्यों ना धोय ।
धोये नर मन को अगर, मानवता क्यो रोय ।।

देह प्राण के मेल का, अजब गजब संयोग ।
इक इक पर अंतर्निहित, सह ना सके वियोग ।।

सोचे कागा बैठ कर, एक पेड़ के डाल ।
पेड़ चखे हैं खुद कहां , कैसे लगे रसाल ।।

पूछ रहे हो क्यों भला, हुई कौन-सी बात ।
देख सको तो देख लो, नयन छुपी सौगात ।।

सूख गया पोखर कुॅंआ, बचा नदी में रेत ।
बोल रहा बैसाख अब, आने को है जेठ।।


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