‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

बड़ा तंग किना (भजन)

ओ मईयाजी ........
बड़ा तंग किन्हा
तेरे किसन ने बड़ा तंग किना -2
दूध दही चुराये, संग साथी बुलाये,
घर घुस चढ़ जावे ये जिना
बड़ा तंग किन्हा
तेरे किसन ने बड़ा तंग किना
ओ मईयाजी ........
बड़ा तंग किन्हा


ओ ग्वाला है हम ग्वालिन हैं-2
ओ बगिया है हम मालिन हैं
तेरे घर में माखन, खूब होगी मगर
उसने मेरा माखन छिना
बड़ा तंग किना 2

तेरे किसन ने बड़ा तंग किना
बड़ा तंग किना

हमारी सीका, हमारे मटके
ले हाथ उठा, उसे ओ पटके
खुद ना खाये, संग साथी खिलाये,
देख जहर का घूट पड़ा पीना

देख कर हमें, भागे ओ छलिया
कदम तल जा, छेड़े मुरलिया
सुन वेणु धुन, हम सुध बुध बिसराये
मुष्किल हुआ अब जीना

हम बावरी, ओ निरमोही
हम संग करे, ओ बरजोरी
उनके षरारत, हमसब को भी भाये
कैसे कहे हमें दुख दीना

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