‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

मेरे नगर नवागढ़ में बाढ़ का एक दृश्य



गीतिका छंद
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मेघ बरसे आज ऐसे , मुक्त उन्मुक्त सा लगे ।
देख कर चहु ओर जल को, देखने सब जा जुटे ।।
नीर बहते तोड़ तट को, अब लगे पथ भी नदी ।
गांव घर तक आ गया जल, है मची कुछ खलबली ।।

हाट औ बाजार में भी, धार पानी की चली ।
पार करते कुछ युवक तो, मौज मस्ती में गली ।।
ढह गये कुछ घर यहां पर, जो बने थे तट नदी ।
जो नदी को रोक बैठे, सीख कुछ तो ले अभी ।
-रमेशकुमार सिंह चौहान

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