‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

गुरू

जब छाये अंधेरा रोशनी फैलाता है गुरू,
अंधे का लाड़ी बन मार्ग दिखाता है गुरू ।

कहते है ब्रह्मा बिष्णु महेश है चाकर आपके गुरू,
निज सर्मपण से पड़ा चरण आकर आपके गुरू ।

न पूजा न पाठ न ही है मुझको कोई ज्ञान गुरू,
चरण शरण पड़ा बस निहारता आपके चरणकमल गुरू ।

सारे अपराधो से सना तन मन  है मेरा गुरू,
अपराध बोध से चरण पड़ा तेरे गुरू ।

दयावंत आप हे कृपालु भी आप है गुरू,
दया की नजर से मुझे एक बार निहारो गुरू ।

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