तांका लघु कविता
1.
तितली रानी
सुवासित सुमन
पुष्प दीवानी
आलोकित चमन
नाचती नचाती है ।
2.
पुष्प की डाली
रंग बिरंगे फूल
हर्षित आली
मदहोश हृदय
कोमल पंखुडि़यां ।
3.
जुगनू देख
लहर लहरायें
चमके तारे
निज उर प्रकाश
डगर बगराये ।
4.
कैसी आशिक
जल मरे पतंगा
जीवन लक्ष्य
मिलना प्रियतम
एक तरफा प्यार ।
5.
चिंतन करो
चिंता चिता की राह
क्या समाधान
व्यस्त रखो जी तन
मस्त रखो जी मन ।।
6.
हर चुनाव
बदले तकदीर
नेताओं का ही
सोचती रह जाती
ये जनता बेचारी ।।
7.
लूटते सभी
सरकारी संपदा
कम या ज्यादा
टैक्स व काम चोर
इल्जाम नेता सिर ।।
8.
उठा रहे है
नजायज फायदा
चल रही है
सरकारी योजना
अमीर गरीब हो ।।
9.
जनता चोर
नेता है महाचोर
शर्म शर्माती
कदाचरण लगे
सदाचरण सम ।।
10.
जल भीतर
अटखेली करते
मीनो का झुण्ड़
सड़ा एक मछली
दुषित सारे नीर।।
11.
श्रम की पूजा
कर्मवीर बनाते
भाग्य की रेखा
स्वर्णिम लगते हैं
श्रम अंकित हस्त ।
12.
मई दिवस
मजदूर सम्मान
विश्व करते
श्रम का यशगान
श्रमवीर महान ।।
13.
दिन का स्वप्न
देख रहा है वह
नाचता मन
बंधे हाथ पैर है
कैसे मिलेगी खुशी ।।
14.
भोग किया है
कठोर वनवास
अवध राजा राम
श्रम की साधना से
बने वो भगवान ।।
15.
शिक्षा व्यपार
बिकती है उपाधि
किताबी कीड़े
कुचले जा रहे यहां
ढूंढते रोजगार ।
16.
दोष किसका ?
रोज हो रहे रेप
स्वतंत्र कौन ?
नेता या सरकार
निरंकुश समाज ।
17.
कर्तव्य क्या है ?
राम जाने हमें क्या
हक की चाह
हमें क्या परवाह
अपना काम सधे ।
1.
तितली रानी
सुवासित सुमन
पुष्प दीवानी
आलोकित चमन
नाचती नचाती है ।
2.
पुष्प की डाली
रंग बिरंगे फूल
हर्षित आली
मदहोश हृदय
कोमल पंखुडि़यां ।
3.
जुगनू देख
लहर लहरायें
चमके तारे
निज उर प्रकाश
डगर बगराये ।
4.
कैसी आशिक
जल मरे पतंगा
जीवन लक्ष्य
मिलना प्रियतम
एक तरफा प्यार ।
5.
चिंतन करो
चिंता चिता की राह
क्या समाधान
व्यस्त रखो जी तन
मस्त रखो जी मन ।।
6.
हर चुनाव
बदले तकदीर
नेताओं का ही
सोचती रह जाती
ये जनता बेचारी ।।
7.
लूटते सभी
सरकारी संपदा
कम या ज्यादा
टैक्स व काम चोर
इल्जाम नेता सिर ।।
8.
उठा रहे है
नजायज फायदा
चल रही है
सरकारी योजना
अमीर गरीब हो ।।
9.
जनता चोर
नेता है महाचोर
शर्म शर्माती
कदाचरण लगे
सदाचरण सम ।।
10.
जल भीतर
अटखेली करते
मीनो का झुण्ड़
सड़ा एक मछली
दुषित सारे नीर।।
11.
श्रम की पूजा
कर्मवीर बनाते
भाग्य की रेखा
स्वर्णिम लगते हैं
श्रम अंकित हस्त ।
12.
मई दिवस
मजदूर सम्मान
विश्व करते
श्रम का यशगान
श्रमवीर महान ।।
13.
दिन का स्वप्न
देख रहा है वह
नाचता मन
बंधे हाथ पैर है
कैसे मिलेगी खुशी ।।
14.
भोग किया है
कठोर वनवास
अवध राजा राम
श्रम की साधना से
बने वो भगवान ।।
15.
शिक्षा व्यपार
बिकती है उपाधि
किताबी कीड़े
कुचले जा रहे यहां
ढूंढते रोजगार ।
16.
दोष किसका ?
रोज हो रहे रेप
स्वतंत्र कौन ?
नेता या सरकार
निरंकुश समाज ।
17.
कर्तव्य क्या है ?
राम जाने हमें क्या
हक की चाह
हमें क्या परवाह
अपना काम सधे ।
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