‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

मेरा अपना गांव (रोला छंद)


मेरा अपना गांव, विश्‍व से न्यारा न्यारा ।
प्रेम मगन सब लोग, लगे हैं प्यारा प्यारा ।।
काका बाबा होय, गांव के बुजुर्ग सारे ।
हर सुख दुख में साथ, सखा बन काम सवारे ।।

अमराई के छांव, गांव के छोरा छोरी ।
खेले नाना खेल, करे सब जोरा जोरी ।।
ग्वाला छेड़े वेणु, धेनु धुन सुन रंभाती ।
मुख पर लेकर घास, उठा शिश स्नेह दिखाती ।।

मोहे पनघट नाद, सखी मिल करे ठिठोली ।
गारी देवे सास, करे बालम बरजोरी ।।
चारी चुगली खास, कथा सा सुने सुनावे ।
सभी शोर संदेश, यही से ही बगरावे ।।

गिल्ली डंडा खेल, गली में खेले बच्चे ।
करते झगड़े मेल, सभी है मन के सच्चे ।।
बस्ता थाली हाथ, चले हैं खाने पढ़ने ।
सभी बाल गोपाल, धरे पग जीवन गढ़ने ।।

फसल पके हैं खेत, मोर सा किसान नाचे ।
राहत का ले सांस, कर्मफल अपना जांचे ।।
भरा भरा खलिहान, गांव में लक्ष्मी सोहे ।
खुशी से दमके देह, देव को मानव

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