‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

वर्षागीत



श्यामल घटा घनेरी छाई,
शीतल शीतल नीर है लाई ।
धरती प्यासी मन अलसाई,
तपते जग की अगन बुझाई ।।

खग-मृग पावन गुंजन करते,
नभगामी नभ में ही रमते ।
हरितमा धरती के आंचल भरते,
रंभाते कामधेनु चलते मचलते ।।

कृषक हल की फाल को भरते,
धान बीज को छटकते बुनते ।
खाद बिखेरते हसते हसते,
धानी चुनरिया रंगते रंगते ।।

सूखी नदी की गोद भरने लगी है,
कल कल ध्वनि बिखेरने लगी है ।
कुछ तटबंध टूट रहे है,
कहीं कहीं मातम फूट रहे हैं ।।

घोर घोर रानी कितना बरसे पानी,
ग्राम ग्राम बच्चे बोल रहे जुबानी ।
रंग बिरंगे तितली रानी तितली रानी,
उमड़ घुमड़ के बरसे पानी बरसे पानी ।।

-रमेश दिनांक 16 जून 2013

............‘रमेश‘...........

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