हे दयामयी मां शारदे, मेरा जीवन संवार दें ।
तू तो ज्ञान की देवी मां, मुझे केवल ज्ञान का उपहार दें ।।
वर्ण-वर्ण, छन्द-छन्द, सुर-संगीत सभी हैं तेरे कण्ठ ।
कर सोहे वीणा तेरे मां, मेरे जीवन भी में वीणा झंकार दें।।
सप्त सुर सप्त वर्ण से, श्वेत वर्ण तुझे सुहाती मां।
हे श्वेतमयी मां शारदे, मेरा जीवन संवार दें ।
श्वेत वस्त्र से शोभित, श्वेत हंस में विराजीती मां ।
हस्तगत है तेरे वेद पुराण मां, मेरे जवीन में वेदमति भर दें ।।
मैं कलम का साधक मां, मेरी साधना अब पूरी कर दें ।
मेरे हर पद हर छन्द में मां, जीवन के नवरस भर दें ।।
मेरे चिंतन मनन विचार शून्यता में, नव विचार का संचार करे दें ।
शरण आया हूं तेरी मां, मुझ दीन हीन की झोली अब भर दें ।।
नहीं मांगता मां मैं मुक्ता माणीक, मेरे हाथों में अब सुर दें ।
मानव मानव के इस जीवन में, मानवता का रंग अब भर दें ।।
..................‘‘रमेश‘‘...............................
तू तो ज्ञान की देवी मां, मुझे केवल ज्ञान का उपहार दें ।।
वर्ण-वर्ण, छन्द-छन्द, सुर-संगीत सभी हैं तेरे कण्ठ ।
कर सोहे वीणा तेरे मां, मेरे जीवन भी में वीणा झंकार दें।।
सप्त सुर सप्त वर्ण से, श्वेत वर्ण तुझे सुहाती मां।
हे श्वेतमयी मां शारदे, मेरा जीवन संवार दें ।
श्वेत वस्त्र से शोभित, श्वेत हंस में विराजीती मां ।
हस्तगत है तेरे वेद पुराण मां, मेरे जवीन में वेदमति भर दें ।।
मैं कलम का साधक मां, मेरी साधना अब पूरी कर दें ।
मेरे हर पद हर छन्द में मां, जीवन के नवरस भर दें ।।
मेरे चिंतन मनन विचार शून्यता में, नव विचार का संचार करे दें ।
शरण आया हूं तेरी मां, मुझ दीन हीन की झोली अब भर दें ।।
नहीं मांगता मां मैं मुक्ता माणीक, मेरे हाथों में अब सुर दें ।
मानव मानव के इस जीवन में, मानवता का रंग अब भर दें ।।
..................‘‘रमेश‘‘...............................
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