‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

जनक भगवान समान


   
    जिसकी ऊंगली पकड़कर चलना सीखा,
    मेरे लिये जिसने  चला घोड़ा सरीखा ।

    मेरे चलने से जिसके मुँह से वाह निकला,
    मेरे गिरने पर जिसके मुँह से आह निकला ।

    मेरी हर छोटी बड़ी जरूरतों का जिसने रखा ध्यान,
    जिसने अपने मुॅंह का निवाला मुझ पर किया कुर्बान ।

     जीवन जीने का जिसने सलीखा सिखाया,
    जिसने पसीने का हर कतरा मेरे लिये बहाया ।

    जिसका खून जीवन बन मेरे नशों में दौडता है,
    मेरा अंग प्रतिअंग बस......... यही कहता  है।

    जिसने  अपना जीवन मुझे अर्पित किया
    जिसने मुझे स्‍नेह, प्रेम, वात्‍सल्‍य दिया ।
   
    जो मेरे लिये सारी दुनिया से है महान
    वह है मेरे जनक......भगवान समान ।।


.................रमेश.....................

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