जिसकी ऊंगली पकड़कर चलना सीखा,
मेरे लिये जिसने चला घोड़ा सरीखा ।
मेरे चलने से जिसके मुँह से वाह निकला,
मेरे गिरने पर जिसके मुँह से आह निकला ।
मेरी हर छोटी बड़ी जरूरतों का जिसने रखा ध्यान,
जिसने अपने मुॅंह का निवाला मुझ पर किया कुर्बान ।
जीवन जीने का जिसने सलीखा सिखाया,
जिसने पसीने का हर कतरा मेरे लिये बहाया ।
जिसका खून जीवन बन मेरे नशों में दौडता है,
मेरा अंग प्रतिअंग बस......... यही कहता है।
जिसने अपना जीवन मुझे अर्पित किया
जिसने मुझे स्नेह, प्रेम, वात्सल्य दिया ।
जो मेरे लिये सारी दुनिया से है महान
वह है मेरे जनक......भगवान समान ।।
.................रमेश.....................
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