‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

. हे भगवती मां अम्बे तुम्हे नमन



     हे भगवती मां अम्बे तुम्हे नमन ।
     मां कर दे हमारे पापा का शमन ।।


तू ही है अखिल विश्व माता ।
सारा विष्व तेरे ही गुन गाता ।।
अपने भक्तो का पुत्रवत करते हो जतन ।
हे भगवती मां अम्बे तुम्हे नमन ।।

तू ही सर्वशक्ति का आधार है ।
कोई न पाये तेरा पार है ।।
तेरी ही कृपा से ही है ये सारा चमन ।
तू करती सदा असुरी शक्ति का दमन ।
     हे भगवती मां अम्बे तुम्हे नमन ।।

शिव की तुम शिवा हो ।
बिष्णु की तुम रमा हो ।।
ब्रहमा की ब्रहमाणी एकतन ।
हे भगवती मां अम्बे तुम्हे नमन ।।

पहाड़ो में ही तेरा वास है ।
ऐसे भक्तों का विश्वास है ।।
जहां भक्त पहुंचते नाना जतन ।
हे भगवती मां अम्बे तुम्हे नमन ।।

तू तो शेरोवाली हो ।
तू तो मेहरेवाली हो ।।
तुझे रिझाने भक्त करते है कई करम ।
हे भगवती मां अम्बे तुम्हे नमन ।।

न मैं पूजा कर सकता न उपवास ।
मुझे केवल तेरे नाम की है आस ।।
तु तो जानती है हर भक्तो का मरम ।
हे भगवती मां अम्बे तुम्हे नमन ।।
.........‘‘रमेश‘‘...............

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