कब से गये हो तुम सागर पार ,
मुझे छोड़ गये हो मझदार ,
तुझ बिन नही मेरे जीवन की आस,
अब तो आ जाओ मेरे साजन पास ।
तन की हल्दी चिड़ाती मुझे,
हाथों की मेंहंदी रूलाती मुझे,
न साज न श्रृंगार नही अब कुछ खास,
अब तो आ जाओ साजन मेरे पास।
तुझ बिन मेरे सांसे है मध्यम,
अब न मुस्कुराता है मेरा मन,
मेरे मन का तु ही है विश्वास,
अब तो आ जाओ साजन मेरे पास।
तस्वीर देख दिन कटता है मेरा,
सांझ समान ही है अब तो सबेरा,
तुझ बीन अंधेरा ही है आसपास,
अब तो आ जाओ साजन मेरे पास ।
कह गयें थे जल्दी आने को,
सभी गम को भुलाने को,
सो हो भी नहीं सकता उदास,
अब तो आ जाओ साजन मेरे पास ।
..............‘‘रमेश‘‘..............................
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